नई दिल्ली. शादियों के सीजन के साथ ही ज्वैलरी की डिमांड बढ़ गई है। सोने के कम होते दामों के चलते भी ज्वैलरी के कारोबार में तेजी आई है। यदि आप भी सोना खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो ये समय बहुत अच्छा है, लेकिन एक बात का खास ख्याल रखें। बाजार में मिलने वाली ज्वैलरी के दाम असल में सोने के दाम से ज्यादा हो सकते हैं। यही नहीं ये दाम हर ज्वैलरी की दुकान पर भी अलग-अलग हो सकते हैं।
ऐसा क्यों होता है, क्यों आपकी ज्वैलरी की कीमतों में फर्क आता है, कैसे ज्वैलर्स आपकी जेब पर डाका डालते हैं ये हम आपको बताएंगे।
ज्वैलर लगाते हैं मनमाने मेकिंग चार्ज
ज्वैलर्स अक्सर बनी हुई ज्वैलरी को बेचते समय कस्टमर्स से बाजार में सोने के दाम के अतिरिक्त दाम भी वसूलते हैं। ये चार्ज मेकिंग चार्ज के रूप में वसूला जाता है। मेकिंग चार्ज कितना होगा ये ज्वैलरी और ज्वैलर्स पर निर्भर करता है। जिस क्वालिटी और ग्राम की ज्वैलरी होगी उसके मुताबिक ज्वैलर मनमाने ढंग से आपके चार्ज वसूलते हैं।
क्या होता है मेकिंग चार्ज
ज्वैलर्स मेकिंग चार्ज अपने मन मुताबिक लगाते हैं। बड़े ज्वैलर्स के यहां मेकिंग चार्ज छोटे के मुकाबले अधिक होता है। मेकिंग चार्ज इस बात पर निर्भर करता है कि ज्वैलरी कैसी बन रही है। ज्वैलरी में चैन रिंग बैंगल्स और हैवी नेकलेस आदि होते हैं। इन पर औसतन 2700 रु प्रति 10 ग्राम से मेकिंग चार्ज वसूला जाता है। ज्वैलर्स लेबर, वेस्टेज और बनाने में कितने दिन का समय लगा इन सब को जोड़कर मेकिंग चार्ज वसूलते हैं। कृष्ण गोयल चांदी वाले के मुताबिक मेकिंग चार्ज न्यूनतम 5 फीसदी से लेकर अधिकतम 20 -25 फीसदी तक जाता है, वही जब सोने की ज्वैलरी घट जाती है तब छोटे ज्वैलर्स अपने मार्जिन को तो कम करते हैं, लेकिन मेकिंग चार्ज पर किसी तरह की कोई छूट नहीं दी जाती।
आगे की स्लाइड में जानिए मार्केट में दो प्रकार की मिलती है ज्वैलरी
नोटः तस्वीरों का इस्तेमाल प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।
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